बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
असीरिया के निवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख करते हुए उनकी कला एवं स्थापत्य की वास्तुगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
असीरिया में धर्म तथा कला के क्षेत्र में हुई प्रगति का विवेचन कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. असीरियन समाज में धर्म का क्या महत्व था? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
असीरिया के धर्म पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
2. असीरिया वासियों के प्रमुख देवी-देवताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
3. असीरिया में कला एवं स्थापत्य के विकास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
4. असीरिया में मूर्तिकला के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
प्राचीन असीरिया में मूर्तिकला की परम्परा पर टिप्पणी लिखिए।
5. असीरिया की चित्रकला का उल्लेख कीजिए।
6. असीरिया कला पर टिप्पणी कीजिये।
उत्तर -
असीरिया की धार्मिक व्यवस्था
असीरिया के निवासियों की धर्म के प्रति अधिक आस्था नहीं थी। क्रूर एवं हिंसा का वातावरण होने के कारण असीरियन सभ्यता में धर्म के प्रभाव से उद्भव मान्यताएँ विकसित न हो सकीं और न ही उनका राजनीतिक जीवन पर कोई विशेष प्रभाव पड़ा।
1. प्रमुख देवी-देवता -
असीरियन समाज में बेबिलोनियन देवी-देवताओं को ही मान्यता प्रदान की गई। यहाँ का शक्तिशाली देवता अशुर था जो शत्रुओं का विनाश करता था। इस देवता को समस्त विश्व एवं ब्रह्माण्ड का सृजनहार माना जाता था। यहाँ लोगों का विश्वास था कि यह युद्ध का देवता है और सभी मनुष्य उसके शासन में अपना जीवन यापन करते हैं। इसकी अपार उदारता के कारण सभी मनुष्य सुख-समृद्धि प्राप्त करते थे। स्वर्ग तथा नरक की रचना भी इसीने की थी। इस देवता का प्रतीक एक धनुष था, जिससे बाण छूटता हुआ दिखाया जाता था।
अशुर देवता का निवास अशुर नगर का मन्दिर था। ईश्वर नामक देवी अशुर की पत्नी मानी -जाती थी जिसे 'बेलित' के नाम से भी पुकारा जाता था। यहाँ ईश्तर की युद्ध-देवी के रूप में पूजा की जाती थी। यहाँ के निवासियों का मानना था कि यह देवी अशुर देवता के शत्रुओं का क्षणभर में संहार करती है। ईश्तर देवी के मन्दिर काला, निन्वेह तथा आरबेला नगरों में स्थापित थे।
अशुर तथा ईश्तर के अतिरिक्त असीरिया में इआ, अनु, सिनु, एनलिल, शमश, मारदुक, नुस्कू आदि की भी उपासना की जाती थी। यहाँ की अधिष्ठात्री देवी 'निला' थी जो प्रेम की प्रतीक थी। राष्ट्र के पुरोहित के रूप में शासक भी देवता की उपसना करते थे।
2. धार्मिक अन्धविश्वास एवं मान्यताएँ -
असीरियन धर्म अन्धविश्वास तथा अभिचारिक प्रवृत्तियों से परिपूर्ण था। इस धर्म में अशुभकारी एवं अभिचारिक शक्तियों को विशेष महत्व मिला था। इन शक्तियों से यहाँ के लोग काफी भयभीत रहते थे। इनसे बचने का एक मात्र उपाय तन्त्र-मन्त्र था। इन पर पुजारियों का एकाधिकार होता था। मन्त्रों को ताबीजों पर उत्कीर्ण कर गले में पहना जाता था। कभी-कभी मन्त्रों के साथ अनेक प्रकार की आकृतियाँ भी उत्कीर्ण की जाती थीं। अभिचारक विशेषज्ञ संगीत की धुन पर देवताओं को प्रसन्न करते थे, स्तुति कराते थे तथा धार्मिक कार्यों के समय देवी-देवताओं की मूर्तियों का जलाभिषेक कराते थे।
3. परलोकवाद -
असीरिया के लोग घटनाओं के कार्यकारण पर विश्वास करते थे। उनका विश्वास था कि क्रम से धारित होने वाली दो घटनाओं में पहली घटना दूसरी का कारण होती है। यहाँ शकुन तथा अपशकुन पर भी विचार किया जाता था।
ऐसा अनुमान है कि यहाँ के लोग अन्धलोक के अस्तित्व पर भी विश्वास करते थे जहाँ व्यक्ति की मृत आत्मा का वास होता था। अन्धलोक में व्यक्ति के कर्मों की जाँच की जाती थी। लोगों की धारणा थी कि बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति की आत्मा को कष्ट पहुँचाया जाता है, अतः वे जादू और मन्त्रों द्वारा निर्मित ताबीज गले में पहनते थे।
कला एवं स्थापत्य का विकास
असीरियन सम्राट कला-प्रेमी थे। उन्होंने विभिन्न प्रान्तों एंव प्रदेशों से अधिग्रहण की गई सम्पत्ति का सैनिकों के भरण-पोषण के साथ-साथ यहां की कला एवं स्थापत्य के विकास में उपयोग किया। यहाँ की कलागत विशेषताओं को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है -
1. स्थापत्य कला
असीरिया के सम्राटों ने निन्वेह तथा अशुर में अनेक भव्य मन्दिरों, प्रासादों, तथा पुस्तकालयों का निर्माण करवाया था। यहाँ का प्रत्येक सम्राट पुराने महल को त्यागकर अपने लिये नया महल बनावाता था और उसकी दीवारों पर चित्र तथा अभिलेखों द्वारा अपने यश व कीर्ति की गाथा को अंकित करवाता था। युद्ध की घटनाएँ भी अति नाटकीय ढंग से पत्थरों पर उत्कीर्ण करवाई जाती थीं।
भवन निर्माण में प्रायः ईंटों का प्रयोग किया जाता था परन्तु बाद में पत्थरों का भी प्रयोग किया जाने लगा। भवनों में मेहराब तथा स्तम्भ भी बनाये जाते थे। भवन आकार-प्रकार में विशाल होते थे तथा इन्हें प्रायः दो-तीन मंजिलों तक ऊँचा बनाया जाता था। प्रत्येक भवन में कई बड़े-बड़े कमरे और हाल होते थे। राजकीय भवनों के द्वार पर पशुओं की अति विशाल मूर्तियाँ स्थापित की जाती थीं। दीवार, छत तथा फर्श को विविध प्रकार से अलंकृत किया जाता था।
असीरियन सम्राटों द्वारा बनवाये गये राजप्रासादों में दुर- शारूकिन नामक नगर में स्थित महल अत्यन्त प्रसिद्ध है। इस महल का निर्माण सारगोन द्वितीय ने आठवीं शताब्दी ई. पू. में करवाया था। यह महल एक ऊँचे स्थान पर 25 एकड़ क्षेत्रफल की भूमि पर बनवाया गया था। इसमें 200 कमरे थे। इस महल में आवास गृह, स्वागत कक्ष एवं मन्दिर अलग-अलग बनवाये गये थे। इसमें तीन सिंहद्वार तथा बुर्ज बने हुए थे। केन्द्र में स्थित सिंहद्वार पर गिलगमेश देवता की मूर्ति भी स्थापित की गई थी, जिसमें इस देवता को एक सिंह का गला दबाते हुए दिखाया गया था।
2. मूर्तिकला
असीरिया में मूर्तिकला का अधिक विकास देखने को मिलता है। अशुर नामक नगर यहाँ की मूर्तिकला का प्रमुख केन्द्र था। इस नगर की खुदाई से प्राप्त पत्थर की अनेक छोटी-छोटी मूर्तियाँ इस काल की कला का परिचय देती हैं। नवीं शताब्दी ई. पू. में असीरियन मूर्तिकला अपने विकास की चरम सीमा पर पहुँच गई थी। यहाँ के शिल्पकार मूर्तिकला के माध्यम से युद्ध एवं शिकार आदि के दृश्यों को सजीव एवं यथार्थ रूप में प्रस्तुत करने में निपुण थे। इस संदर्भ में जे.ई. स्वेन का कहना है "असीरियन मूर्तिकला बेबीलोनिया की मूर्तिकला से अधिक यथार्थ एवं सजीव थी।'
इस समय पत्थरों की विशाल मूर्तियाँ निर्मित की जाती थीं। यहाँ के मूर्तिकारों ने शासकों तथा देवताओं की मूर्तियों के साथ-साथ पशुओं की मूर्तियों का भी निर्माण किया। मानव शरीर के चित्रण में यहाँ के कलाकार मनुष्य के अंग- विन्यास के चित्रण की अपेक्षा वस्त्र एवं आभूषण के चित्रण पर अधिक ध्यान देते थे। यहाँ की पशु मूर्तियाँ अत्यन्त सजीव एवं स्वभाविक हैं जिन्हें देखने से प्रतीत होता है कि पशुओं को मनुष्यों की अपेक्षा अपनी शारीरिक एवं नैतिक श्रेष्ठता पर अधिक गर्व है। खोरसाबाद के नगर द्वार के निकट बनी हुई बैलों की मूर्तियाँ तथा ब्रिटिश संग्रहालय में रखी अशुर बनीपाल द्वितीय की विशालकाय मूर्ति अत्यन्त सुन्दर एवं सजीव दिखाई देती हैं।
3. चित्रकला
असीरिया में चित्रकला के क्षेत्र में भी विकास हुआ। उस समय राजप्रासादों की दीवारों पर नक्काशी द्वारा मनुष्यों एवं पशुओं के सजीव चित्र बनाये जाते थे। इन नक्काशियों में अशुर बनीपाल के राजप्रासाद की दीवार पर अंकित चित्र तत्कालीन कला का उत्कृष्ट नमूना है जिसमें बाण से आहत और मरते हुए सिंह को दिखाया गया है। यह चित्र देखने में अत्यन्त सजीव है। इसी प्रकार सेन्नाचेरिब के महल की दीवार पर अंकित घायल शेरनी की पीड़ा को चित्रकार ने बहुत यथार्थ रूप में प्रदर्शित किया है।
असीरिया के चित्रकारों ने घोड़े, गधे, कुत्ते, हिरणों तथा पक्षियों आदि के चित्र भी सफलतापूर्वक चित्रित किये थे। अशुर बनीपाल के महल की दीवारों पर पेड़ की छांव के नीचे अंगड़ाई लेते हुए एक सिंहनी का चित्र उस समय की कला का अद्वितीय नमूना है। सारगन द्वितीय द्वारा बनवाये गये खोरसाबाद के महल की दीवारों पर अंकित घोड़ों के चित्र अपनी यथार्थता एवं सफलता के लिये अत्यन्त प्रसिद्ध हैं।
इस प्रकार असीरिया के कलाकारों के सतत् प्रयास से यहाँ के निनिव, असुर आदि नगर विभिन्न प्रकार के भवनों, मूर्तियों, प्रस्तर- चित्रों आदि से समलंकृत हो गये। उन्होंने भवन निर्माण में अधिक सक्रियता दिखलाई। इसलिए यहाँ वास्तुकला का पर्याप्त संवर्द्धन हुआ।
|
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
- प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
- प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
- प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
- प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
- प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
- प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
- प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
- प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
- प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
- प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
- प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
- प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
- प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।